"नज़रबट्टू" लघु फिल्म का ऑनलाइन चित्रण (28 मार्च 2021)

Amalendu Upadhyaya
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Nazarbattu | Issues of Men | Parveen

“Nazarbattu” (Evil Eye Warder) a short film that depicts the discomfort a woman feels when a male objectifies her with his gaze. Men look at her as if she is put in an exhibition or some commodity to consume. And when anything goes wrong they put the blame on her.

नई दिल्ली, 02 अप्रैल 2021. किनोस्कोप फिल्म्स की नयी पेशकश “नज़रबट्टू” 28 मार्च 2021 से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज़ हो चुकी है। फिल्म में सुशीला, प्रियंका गौर, आकांक्षा घई, नीरुपमा सिंह, रवींद्र भारती, पंकज यादव, ध्रुव कांडपाल, अहान झा, रोहन, रोशन सिंह, रोहित कुमार और आदित्य घिल्डियाल ने अभिनय किया है। फिल्म का छायांकन दिव्या नेगी और संपादन शुभम शर्मा ने किया हैं। परवीन द्वारा लिखित और निर्देशित, नज़रबट्टू एक मूक फिल्म है जो पात्रों की भावनात्मक अभिव्यक्तियों के माध्यम से दर्शकों तक अपने सन्देश को पहुंचाती है।

“नज़रबट्टू” हर स्त्री के रोजाना होने वाले मनोवैज्ञानिक शोषण को दर्शाती है। उसका दिन इस मानसिक दंगल से शुरू होता है कि आज कौन सी पौशाक पहननी है। आखिरकार, उसके कपड़े ही तय करते हैं कि वह किस तरह की महिला है। सड़क पर चलते हुए उस पर अनगिनत नज़रें पड़ती है मानो कि वो कपडे जो उसके तन को ढंकें हुए है, पारदर्शी हो। पुरुषों की एकटक नज़र उसके बदन को चीरते हुए सीधे उसकी अंतरात्मा को भेद कर उसे मानसिक स्तर पर विचलित करती है। और फिर भी उससे यह आशा की जाती है कि वह सामान्य और सुरक्षित महसूस करें। दुर्भाग्यवश, यह फिल्म विश्व की लगभग सभी महिलाओं के वास्तविक अनुभवों पर आधारित है।

किनोस्कोप फिल्म्स के मीडिया ऑपरेशंस मैनेजर शिशिर उनियाल ने एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए बताया कि “नज़रबट्टू” किनोस्कोप फिल्म्स के सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 28 मार्च 2021 से उपलब्ध है।

नज़रबट्टू को सोशल मीडिया पर अच्छा सहयोग मिला है विशेषकर उन महिलाओं से जो खुद को व्यक्तिगत तौर पर इस विषय से जोड़ पायीं हैं। महिला दर्शकों ने इस फिल्म द्वारा एक अहम संदेश को समक्ष लाने के प्रयास की सराहना की क्योंकि अधिकतर महिलाएं इस विषय पर खुल के नहीं बोल पाती। कईं पुरुष दर्शकों ने भी इस फिल्म की कहानी का समर्थन करते हुए यह महसूस किया कि सोशल मीडिया के माध्यम से इस तरह के संवेदनशील और अकथनीय विषयों पर और फिल्में बनाई जाएँ और समाज के बीच लाई जाएँ।

किनोस्कोप फिल्म्स ने पिछले साल “सलबटें” नामक एक लघु फिल्म का निर्माण भी किया है, जिसमें अपने दैनिक जीवन में फंसी एक गृहणी की मानसिकता को व्यक्त किया है। “सलबटें” ने हरियाणवी इनोवेटिव फिल्म एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ कंटेंट और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार भी जीता। कईं डिजिटल फिल्म प्लेटफॉर्म्स में भी यह फिल्म दिखाई गयी जहां इसे काफी सराहना भी मिली।

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