मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के साथ शुरू होगा मानव महासागर मिशन

Amalendu Upadhyaya
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Human ocean mission will start with Gaganyaan manned space mission

नई दिल्ली, 10 जून, 2022: भारत के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान’ (India’s ambitious manned space mission ‘Gaganyaan’) के साथ-साथ देश पहला ‘मानव महासागर मिशन’ वर्ष 2023 में शुरू होगा।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा यह जानकारी हाल में नई दिल्ली में आयोजित विश्व महासागर दिवस समारोह (world ocean day celebration) को संबोधित करते हुए प्रदान की गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दोनों मानव मिशनों का परीक्षण उन्नत चरण में पहुँच चुका है और यह उपलब्धि संभवतः 2023 की दूसरी छमाही में प्राप्त कर ली जाएगी।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि मानवयुक्त पनडुब्बी के 500 मीटर वाले उथले जल संस्करण का समुद्री परीक्षण वर्ष 2023 के आरंभ में सम्पन्न हो सकती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि इसके बाद गहरे पानी वाली मानवयुक्त पनडुब्बी मत्स्य-6000  को वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही तक परीक्षण के लिए तैयार कर लिया जाएगा। इसी प्रकार, गगनयान के प्रमुख मिशन अर्थात् क्रू-एस्केप सिस्टम के प्रदर्शन का सत्यापन करने के लिए टेस्ट वाहन उड़ान; और गगनयान (जी1) का पहला मानव रहित मिशन वर्ष 2022 की दूसरी छमाही में पूरा करना निर्धारित किया गया है।

वर्ष 2022 के अंत में दूसरे मानव रहित मिशन ‘व्योममित्र’, इसरो द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष यात्री मानव रोबोट, को पूरा करना प्रस्तावित है।

इसी क्रम में, वर्ष 2023 में पहले चालक दल वाले गगनयान मिशन को पूरा किया जाएगा।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में समुद्री व्यवसायों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुँचना चाहिए, क्योंकि महासागर मत्स्य पालन से लेकर समुद्री जैव प्रौद्योगिकी, खनिजों से लेकर अक्षय ऊर्जा तक के लिए जीवित और निर्जीव संसाधन प्रदान करते हैं।  

उन्होंने आगे बताया कि सरकार ने पिछले वर्ष जून में डीप ओशन मिशन (डीओएम) को मंजूरी प्रदान की थी, जिसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा पाँच वर्षों के लिए 4,077 करोड़ रुपये की कुल बजट राशि के साथ लागू किया जाएगा।

उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे 1000 और 5500 मीटर की गहराई में स्थित पॉलीमेटलिक मैंगनीज नोड्यूल, गैस हाइड्रेट, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्रस्ट जैसे संसाधनों की गहरे समुद्र में खोज करने के लिए विशिष्ट प्रौद्योगिकी विकसित करें, और उद्योगों को अपना सहयोग प्रदान करें।

डॉ जितेंद्र सिंह ने बड़ी मछलियों की आबादी में 90 प्रतिशत की कमी, और 50 प्रतिशत प्रवाल भित्तियों के नष्ट होने से संबंधित रिपोर्टों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि समुद्र के साथ एक नया संतुलन स्थापित करने के लिए संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने इस अवसर पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के व्यापक दृष्टिकोण को दोहराया है, जिसमें मौसम, जलवायु, महासागर, तटीय एवं प्राकृतिक खतरों के लिए वैश्विक स्तर की सेवाओं के माध्यम से जीवन को बेहतर बनाने के लिए पृथ्वी प्रणाली विज्ञान में उत्कृष्टता, महासागरीय संसाधनों का सतत् दोहन और ध्रुवीय क्षेत्रों की खोज शामिल है।

केंद्रीय मंत्री ने केरल के नौ समुद्री जिलों और चेन्नई की समुद्री तट पर सफाई अभियान चलाने वाले शिक्षाविदों, छात्रों, अधिकारियों और सामान्य नागरिकों के साथ भी बातचीत की।

विश्व महासागर दिवस के अवसर पर डॉ जितेंद्र सिंह ने समुद्र तट की सफाई करने के दौरान सिंगल यूज प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक एवं चिकित्सा कचरे को एकत्र करने के लिए कुलपतियों, पंचायती राज संस्थाओं, निगमों के प्रयासों की सराहना की।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ एम. रविचंद्रन ने कहा कि भारत के पास 7,517 किलोमीटर लंबी तटरेखा है, जो पारिस्थितिकीय समृद्धि, जैव विविधता और अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देता है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष प्लास्टिक, काँच, धातुएं, सैनिटरी, कपड़े आदि से बना हुआ हजारों टन कचरा महासागरों में पहुँचता है, और प्लास्टिक कुल कचरे का निर्माण करने में लगभग 60 प्रतिशत का योगदान देता है, जो कि प्रत्येक वर्ष समुद्र में चला जाता है।

(इंडिया साइंस वायर)

Topics: Human Space Mission, Gaganyaan, Human Ocean Mission, World Oceans Day, Prithvi Bhawan, Blue Economic Policy, MoES, Manned Ocean Mission

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